देश
मे अगर सब से ज़्यादा कुछ बिकता है तो वो है शराब. किसी भी ठेके के सामने
खड़े हो के देख लो, धक्के पे धक्का लगा के भी लोग एक बोतल के साथ ऐसे बाहर
निकलते हैं जैसे कोई किला फ़तेह कर लिया हो.
घर
मे खाने को रोटी हो या नही, बचों के स्कूल की फीस हो या नही, बुज़ुर्गो के
लिया दवा हो या नही, शराबी को दारू ज़रूर पीनी है चाहे उसके लिए बीबी के
जेवर बेचने पड़े, घर बेचना पड़े, बचो को ही बेचना पड़े या फिर चोरी ही क्यो
ना करनी पड़े.
लेकिन
सरकार को लोगो से कोई मतलब नही. सरकार को तो रेवेन्यू चाहिए. चाहे वो शराब
से मिले, चाहे तंबाकू या गुटके से. अब जब की सुना जा रहा है की दिल्ली
मे शराब पीने की उमर 25 साल से घटा कर 21 साल करने पे विचार चल रहा है तो
इस पेटिशन के ज़रिए हम इस बात का खुला विरोध करते हैं और आप सब से निवेदन
करते है की इस पे साइन करके इस मुहिम को मजबूत करे.
शराब चीज़ ही ऐसी है, कि ना छोडी जाए,
पर अब वक़्त आ गया है, कि ये रसम भी तोड़ी जाए
No comments:
Post a Comment