Tuesday, 14 July 2015

अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर पर दुष्कर्म का मुकदमा राज्यपाल के हस्तक्षेप से दर्ज हुआ।

लखनऊ। अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर पर दुष्कर्म का मुकदमा राज्यपाल के हस्तक्षेप से दर्ज हुआ। दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीडि़त महिला का यह दावा है। हालांकि उसका यह कहना है कि राज्यपाल के आदेश के बावजूद चार माह से ज्यादा समय तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज सीजेएम कोर्ट लखनऊ के सामने पीडि़ता का दुष्कर्म के सिलसिले में बयान दर्ज हुआ। पीडि़त महिला ने सभी राजनीतिक दलों से इंसाफ दिलाने की मांग की और कहा कि मुझ पर राजनीति न की जाए।
पीडि़त महिला का आरोप है कि मैं 31 दिसंबर 2014 को अमिताभ के गोमतीनगर आवास पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त हुई। पहले ही दिन ठाकुर ने छेड़छाड़ और दुष्कर्म किया। उसी दिन गोमतीनगर थाना में गयी लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। मैंने इंसाफ की उम्मीद में महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां प्रार्थना पत्र और बयान लेने के बाद कार्रवाई नहीं हुई। पत्रकारों के सहयोग से कुछ दिनों बाद गोमतीनगर थाना में मेरा प्रार्थना पत्र लेकर एक पीली पर्ची दे दी गयी परंतु रसूखदार पुलिस अधिकारी के आरोपी होने से कार्रवाई की बजाय मुझे धमकी मिलने लगी। तब मैं एक संस्था ताहिरा के संपर्क में आयी और उस संस्था ने राज्यपाल को दस मार्च 2015 को एक प्रार्थना पत्र दिया जिस पर सरकार को मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया गया। चार माह से ज्यादा समय तक राज्यपाल के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच 20 जुलाई को नूतन और अमिताभ द्वारा मेरे व मेरे पति के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एक अभियोग पंजीकृत कराया गया जिसमें मेरे साथ कई बड़े नेताओं का नाम जोड़ दिया गया। इसकी जानकारी नौ जुलाई को अखबार के जरिये होने पर मैंने डीजीपी कार्यालय में धरना दिया। राज्यपाल के आदेश और पत्रकारों के सहयोग से पुलिस ने मेरा मुकदमा दर्ज किया।

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